Hydrogen Train: भारत में अब प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआत होने जा रही है. यह ट्रेन हरियाणा के सोनीपत और जींद के बीच दौड़ेगी, जो आने वाले समय में रेलवे परिवहन को एक नई दिशा देगी. हाइड्रोजन ट्रेन की टाइमलाइन जनवरी 2025 तक तय की गई है और इसका उद्देश्य भारत में पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ यात्रियों को एक सुरक्षित और तेज यात्रा अनुभव मिलता है.
हाइड्रोजन ट्रेन
यह हाइड्रोजन ट्रेन प्रदूषण मुक्त परिवहन (Pollution Free Transport) के रूप में देश की पहली ट्रेन होगी. यह ट्रेन 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और इसमें 8 से 10 डिब्बे होंगे. यह डीजल ट्रेनों के मुकाबले कम से कम 964 किलो कार्बन का उत्सर्जन कम करेगी. हाइड्रोजन का उपयोग करके यह ट्रेन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल रहेगी, जो पर्यावरण बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. जींद जिले में इस ट्रेन के लिए विशेष तैयारी (Special Preparations for Hydrogen Train) की जा रही हैं, जहां हाइड्रोजन स्टोर करने के लिए एक नया प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है.
हाइड्रोजन ट्रेन के लिए विशेष प्लांट और तकनीकी तैयारियां
जींद रेलवे स्टेशन पर एक हाइड्रोजन स्टोरेज प्लांट(Hydrogen Storage Plant) का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें 3000 किलो हाइड्रोजन स्टोर करने की क्षमता होगी. इसके अलावा, इस प्लांट को बारिश के पानी के संग्रहण प्रणाली से जोड़ा जाएगा, जिससे स्टेशन की छतों से पानी का उपयोग हाइड्रोजन उत्पादन में किया जा सकेगा. इसके लिए आवश्यक मशीनरी भी मंगवाई जा चुकी है, और ट्रेन का ट्रायल (Train Trial) जल्द ही इस महीने में किया जाएगा.
पहले चरण में दो हाइड्रोजन ट्रेनें चलेंगी
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन की शुरुआत (Hydrogen Train Launch in India) के पहले चरण में दो ट्रेनें चलने की योजना है. इन ट्रेनों में 1 किलो हाइड्रोजन पर 4.5 लीटर डीजल के बराबर माइलेज मिलने का अनुमान है. इन ट्रेनों में कुल 8 से 10 डिब्बे होंगे और इनकी ऊर्जा की आवश्यकता 2.4 मेगावाट होगी. इसके लिए ट्रेन में दो पावर प्लांट (Power Plants for Hydrogen Train) लगाए गए हैं, जो ट्रेन को स्थिर बनाए रखेंगे.
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में इस ट्रेन के डिब्बे बनाए जा रहे हैं, जो दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएंगे. यह देश में हाइड्रोजन ट्रेन की सफलता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा, और आने वाले सालों में अन्य मार्गों पर भी इसका विस्तार किया जा सकता है.
पारंपरिक रेल मार्गों पर हाइड्रोजन ट्रेनों की योजना
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, जो पूरी तरह से प्रदूषण रहित होगी, बहुत जल्द हरियाणा राज्य के सोनीपत और जींद के बीच दौड़ेगी. सरकार द्वारा तय की गई टाइमलाइन के अनुसार, यह हाइड्रोजन ट्रेन जनवरी 2025 में जनता के बीच पहुंचेगी. इस ट्रेन की गति 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक होगी, और यह ट्रेन न केवल हमारे परिवहन तंत्र को आधुनिक बनाएगी, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगी.
हाइड्रोजन ट्रेन
भारत में बढ़ते प्रदूषण और इसके नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए यह हाइड्रोजन ट्रेन एक महत्वपूर्ण कदम साबित होने वाली है. यह ट्रेन 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी, और सबसे खास बात यह है कि इसके संचालन से कोई भी प्रदूषण नहीं होगा. आज भी देश में डीजल ट्रेनों के संचालन से कार्बन उत्सर्जन होता है, लेकिन हाइड्रोजन ट्रेन पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगी. यह पहल भारत को एक नया पर्यावरणीय दिशा देगी और देश को स्वच्छ परिवहन के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाएगी.
हरियाणा में हाइड्रोजन ट्रेन की विशेष तैयारी
इस ट्रेन के संचालन के लिए हरियाणा के जींद जिले में विशेष तैयारी की जा रही है. जींद रेलवे स्टेशन पर 3000 किलो हाइड्रोजन स्टोर करने के लिए एक प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है. इसके अलावा, इस प्लांट के लिए अंडरग्राउंड स्टोरेज की भी व्यवस्था की जा रही है. जींद रेलवे स्टेशन की छतों से जमा बारिश के पानी को इस प्लांट तक पहुंचाया जाएगा, जिससे हाइड्रोजन उत्पादन की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके. यह योजना हाइड्रोजन ट्रेन के लिए आवश्यक हाइड्रोजन के स्टोर की सुरक्षा और आपूर्ति सुनिश्चित करेगी.
परीक्षण चरण और आगे की योजना
इस नई हाइड्रोजन ट्रेन का परीक्षण जल्द ही शुरू होगा, और उम्मीद जताई जा रही है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इसे नियमित रूप से चलाने की योजना बनाई जा सकती है. इस परीक्षण को लेकर चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में ट्रेन के डिब्बों का निर्माण कार्य जारी है, जो दिसंबर तक पूरी तरह तैयार हो जाएंगे. पहले चरण में दो हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बनाई जा रही है, जो 1 किलो हाइड्रोजन पर 4.5 लीटर डीजल के बराबर माइलेज देने में सक्षम होंगी.
उच्च क्षमता की आवश्यकता
इस हाइड्रोजन ट्रेन के संचालन के लिए 2.4 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी, ताकि 8 से 10 डिब्बों को आसानी से खींचा जा सके. ट्रेन के प्रत्येक डिब्बे में दो पावर प्लांट लगाए जाएंगे, जो पूरी ट्रेन को चलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करेंगे. इसके अलावा, भविष्य में रेलवे की योजना है कि इस प्रकार की हाइड्रोजन ट्रेनें देश के विभिन्न पहाड़ी और हेरिटेज मार्गों पर भी चलें, जैसे कि माथेरान हिल स्टेशन, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे और नीलगिरी माउंटेन रेलवे. अगले 3 वर्षों में इन मार्गों पर 30 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने का लक्ष्य रखा गया है.
हाइड्रोजन ट्रेन का भविष्य और संभावनाएं
भारत में हाइड्रोजन आधारित परिवहन का यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा, बल्कि यह देश के रेल तंत्र को भी एक नई दिशा प्रदान करेगा. हाइड्रोजन ट्रेनें हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को कम करते हुए और पर्यावरणीय प्रभावों को घटाते हुए एक किफायती और भविष्य-समर्थ परिवहन विकल्प बन सकती हैं. इस नई तकनीकी पहल को लेकर रेल मंत्रालय ने पहले ही आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं और आने वाले समय में देश के अन्य हिस्सों में भी इस तकनीक को लागू किया जा सकता है.