New Expressway: भारत में एक्सप्रेसवे नेटवर्क तेजी से विस्तार कर रहा है। जहां एक तरफ दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनकर उभर रहा है, वहीं अब सूरत से चेन्नई को जोड़ने वाला एक और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भी आकार ले रहा है, जो देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है।
1271 किलोमीटर लंबा होगा नया सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे
सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 1271 किमी होगी। यह परियोजना पश्चिमी घाटों के बीच से गुजरते हुए देश के पश्चिमी तट से दक्षिणी तट तक का संपर्क बनाएगी। इससे न सिर्फ लॉजिस्टिक्स में सुधार होगा, बल्कि यात्रा की अवधि भी आधी हो जाएगी।
36 घंटे की यात्रा घटकर होगी 18 घंटे में पूरी
इस समय सूरत से चेन्नई तक की यात्रा में लगभग 36 घंटे का समय लगता है। लेकिन एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद यही सफर 18 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। साथ ही, वर्तमान में यात्रा की दूरी 1600 किलोमीटर है, जो घटकर 1270 किलोमीटर रह जाएगी।
6 राज्यों से होकर गुजरेगा यह राष्ट्रीय महत्व का मार्ग
यह एक्सप्रेसवे गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे छह राज्यों से होकर गुजरेगा। रास्ते में तिरुपति, कडपा, कुर्नूल, कलबुर्गी, सोलापुर, अहमदनगर और नासिक जैसे महत्वपूर्ण शहर इस कॉरिडोर से जुड़ेंगे, जिससे स्थानीय विकास को भी गति मिलेगी।
50,000 करोड़ की लागत 120 किमी प्रति घंटे की गति सीमा
इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 50,000 करोड़ रुपये है। इस एक्सप्रेसवे पर वाहन 120 किमी/घंटा की अधिकतम गति से चल सकेंगे। अभी इसका निर्माण 4 लेन के साथ हो रहा है, लेकिन भविष्य में इसे 6 या 8 लेन में विस्तार किया जाएगा।
दिसंबर 2025 तक पूरा हो सकता है निर्माण कार्य
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2021 में इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था। एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) इस पर निर्माण कार्य कर रहा है और इसे दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
व्यापार और पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे से जुड़े प्रदेशों को औद्योगिक और आर्थिक विकास में लाभ मिलेगा। तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के कई हिस्सों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर को देगा नई रफ्तार
इस भव्य एक्सप्रेसवे परियोजना के पूरा होने से न केवल देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्से आपस में जुड़ेंगे, बल्कि ट्रांसपोर्ट और सप्लाई चेन में भी क्रांतिकारी सुधार आएगा। भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।