IMD Weather Alert: उत्तराखंड में हाल की वर्षा और ओलावृष्टि ने औद्यानिक फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। एक तरफ जहां इससे गर्मी से राहत मिली, वहीं दूसरी तरफ किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। उद्यान विभाग के अनुसार अप्रैल से अब तक 12 जिलों में कुल 9877.59 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
भारी क्षेत्र में 33% से अधिक फसल क्षति
सरकारी सर्वेक्षण में पाया गया कि 4773.4 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है, जबकि 5104.19 हेक्टेयर क्षेत्र 33 प्रतिशत से कम प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, 2799 हेक्टेयर कृषि भूमि को भी क्षति पहुंची है।
कुल अनुमानित नुकसान 7 करोड़ रुपये
फसलों और भूमि की कुल क्षति लगभग 7 करोड़ रुपये आंकी गई है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं सेब, आड़ू, पुलम, आम, लीची, माल्टा, कीवी, खुबानी, मटर, आलू, प्याज, और मसालों जैसी औद्यानिक फसलें।
किसानों की चिंता बढ़ी सरकार ने किया एक्शन
फसलों को हुए इस भारी नुकसान से किसान बेहद परेशान हैं। इसे देखते हुए कृषि मंत्री गणेश जोशी ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की जाए।
आपदा मद से मुआवजा तभी जब 33% से अधिक नुकसान
केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, 33 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर ही आपदा राहत कोष से मुआवजा देने का प्रावधान है। कृषि मंत्री ने निर्देश दिए कि इसी मानक के तहत किसानों को राहत दी जाए।
अधिकारियों की मौजूदगी में हुई समीक्षा बैठक
बैठक में कृषि निदेशक केसी पाठक, बागवानी मिशन के निदेशक महेंद्र पाल और संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार भी मौजूद रहे। सभी जिलों से प्राप्त रिपोर्टों की समीक्षा की गई।
इन जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान
राज्य के जिन जिलों में सबसे ज्यादा क्षति दर्ज की गई, उनमें प्रमुख रूप से पौड़ी (30-80%), पिथौरागढ़ (10-60%), उत्तरकाशी (20-48%), रुद्रप्रयाग (15-50%), बागेश्वर (10-50%) और देहरादून (8-45%) शामिल हैं।
इन प्रमुख फसलों पर पड़ा असर
सेब, पुलम, आड़ू, आम, लीची, माल्टा, कीवी, खुबानी, मटर, आलू, प्याज, कद्दू वर्गीय सब्जियां, और मसाले इस आपदा में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इनमें से कई निर्यात योग्य फसलें भी हैं, जिनकी बर्बादी से किसानों को दोगुना आर्थिक नुकसान हुआ है।
आगे की राह
सरकार ने संकेत दिया है कि राजस्व विभाग के माध्यम से राहत प्रक्रिया शुरू की जाएगी और सभी संबंधित जिलों से अंतिम आंकड़े प्राप्त कर मुआवजा तय किया जाएगा। किसानों को मौसम बीमा योजना और आपदा राहत से मदद दिए जाने की बात कही गई है।