Farming News: हाल ही में पंजाब में हुई बारिश और भीषण ठंड ने गोभी की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है. किसान अब अपनी मेहनत से उगाई गई फसल को उचित दाम न मिलने के कारण सड़कों पर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं. पहले जहां गोभी के दाम आसमान छू रहे थे वहीं अब मंडियों में इसकी कीमत बेहद कम हो गई है.
गोभी के दामों में भारी गिरावट
पिछले दिनों गोभी की कीमत (Cabbage Price Drop in Punjab) 35-40 रुपये प्रति किलो थी लेकिन अब यह मंडियों में सिर्फ 3-4 रुपये प्रति किलो बिक रही है. वहीं दुकानदार इस गोभी को 20 रुपये प्रति किलो के भाव से बेच रहे हैं. किसानों के अनुसार, इतनी कम कीमतों पर फसल बेचने से उनकी लागत भी नहीं निकल रही है.
किसान मंडियों के बजाय सीधे बाजारों में बेचने को मजबूर
सरहदी गांव दौरांगली और आसपास के क्षेत्रों में गोभी उत्पादक (Cabbage Farmers Selling Directly) अब मंडियों के बजाय सीधे बाजारों में अपनी फसल बेच रहे हैं. युवा किसान ट्रैक्टरों के जरिए 20 रुपये में डेढ़ किलो गोभी बेचने को मजबूर हैं. यह स्थिति किसानों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन रही है.
गोभी की खेती में कितना खर्च होता है?
किसान अमनदीप ने बताया कि गोभी की रोपाई (Cost of Cabbage Cultivation in Punjab) के दौरान प्रति पौधा 80 पैसे की लागत आती है. एक एकड़ में बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी का कुल खर्च लगभग 34,000 रुपये हो जाता है. इतनी लागत के बावजूद फसल की बिक्री से मुनाफा नहीं हो रहा है.
किसानों पर बढ़ता कर्ज का दबाव
गोभी के दामों में गिरावट (Falling Cabbage Prices and Farmers’ Debt) के कारण किसानों पर कर्ज का दबाव बढ़ रहा है. फसल का सही दाम न मिलने के कारण कई किसान आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. यह स्थिति न केवल उनके लिए कठिनाई पैदा कर रही है, बल्कि उन्हें आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने पर भी मजबूर कर रही है.
किसानों की मांग
किसानों का कहना है कि सरकार (Government Support for Farmers in Punjab) को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और फसलों की उचित कीमत सुनिश्चित करनी चाहिए. किसानों ने फसल बीमा योजना और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे उपायों की मांग की है, जिससे उनकी मेहनत का सही मोल मिल सके.
मौसमी फसलों में संतुलन की आवश्यकता
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को मौसमी फसलों (Seasonal Crop Management in Punjab) की योजना बनाने के लिए उचित मार्गदर्शन की जरूरत है. फसल विविधता और बेहतर प्रबंधन से किसानों को ऐसे संकटों से बचाया जा सकता है. साथ ही, फसल भंडारण और प्रसंस्करण के लिए सरकारी सहायता भी आवश्यक है.
मंडी सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
किसानों का यह भी मानना है कि मंडी व्यवस्था (Improvement in Mandi System) में सुधार होना चाहिए. वर्तमान में मंडियों में बिचौलियों के कारण किसानों को अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पाता. मंडी व्यवस्था को पारदर्शी और किसान हितैषी बनाना बेहद जरूरी है.